tag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post4175614007045251605..comments2024-03-27T14:14:46.377+05:30Comments on मन पखेरू उड़ चला फिर: माँ की व्यथासुनीता शानूhttp://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-598400416511655302008-02-15T12:36:00.000+05:302008-02-15T12:36:00.000+05:30भावों से ओतप्रोत.. दिल को छू लेने वाली..दुख के कित...भावों से ओतप्रोत.. दिल को छू लेने वाली..दुख के कितने ही स्वरूप होते हैं...kavi kulwanthttps://www.blogger.com/profile/07096995143341561602noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-11032479844787085032008-01-29T14:00:00.000+05:302008-01-29T14:00:00.000+05:30सुनीता जी,भावना प्रधान सुन्दर रचना... एक ऐसी ही कह...सुनीता जी,<BR/><BR/>भावना प्रधान सुन्दर रचना... एक ऐसी ही कहानी पढी थी जिसमे अपनी मां को बेटा छोड जाता है क्योंकि उस लाज आती है कि उसकी मां की एक आंख नहीं है...मगर उसे बाद में पता चलता है कि मां ने उसी को अपनी एक आंख दे दी थी ताकि लोग उसे काणा न कहें..सचमुच सच कितना कडवा होता हैMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-8653036366824000042008-01-27T13:35:00.000+05:302008-01-27T13:35:00.000+05:30मां के प्यार को शब्दों में अभिव्यक्त कर पाना बहुत ...मां के प्यार को शब्दों में अभिव्यक्त कर पाना बहुत मुश्किल हॆ.इसे तो केवल महसूस किया जा सकता हॆ.बहुत ही अच्छी भावपूर्ण रचना.विनोद पाराशरhttps://www.blogger.com/profile/16819797286803397393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-44671567907294230682008-01-27T13:30:00.000+05:302008-01-27T13:30:00.000+05:30सच! मां के प्यार की शब्दों में अभिव्यक्ति कर पाना ...सच! मां के प्यार की शब्दों में अभिव्यक्ति कर पाना बहुत मश्किल हॆ.इसे तो बस महसूस किया जा सकता हॆ.विनोद पाराशरhttps://www.blogger.com/profile/16819797286803397393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-54473686391120744292008-01-11T09:41:00.000+05:302008-01-11T09:41:00.000+05:30बहुत ही अच्छी लगी आपकी यह कविता सुनीता जी ...माँ क...बहुत ही अच्छी लगी आपकी यह कविता सुनीता जी ...माँ के बारे में लिखा वैसे भी मुझे बहुत पसंद है !!रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-48844973450767714472008-01-10T18:29:00.000+05:302008-01-10T18:29:00.000+05:30माँ जैसी भी हो मेरे लाडलो,जन्म जिसने दिया न नफ़रत क...माँ जैसी भी हो मेरे लाडलो,<BR/>जन्म जिसने दिया न नफ़रत करो,<BR/>सौ जन्मों में भी क्या चुका पाओगे,<BR/>कर्ज दूध का अदा क्या कर पाओगे,<BR/><BR/>बन कर लहू को रंगो में बहा...<BR/>कतरा-कतरा क्या उसको कर पाओगे-?<BR/><BR/>सच में हृदय को छूती हुई यह रचना है.... माँ के ममत्व की बराबरी कोई भी नहीं कर सकता।<BR/>रचना अच्छी लगी.....<BR/>बधाई स्वीकारो।<BR/><BR/>-विश्व दीपक 'तन्हा'विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-89378915559306752962008-01-10T13:25:00.000+05:302008-01-10T13:25:00.000+05:30सुन्दर रचना, करूणा व प्रेम के भावों को संजोंने का...सुन्दर रचना, करूणा व प्रेम के भावों को संजोंने का बेहतर प्रयास किया है आपने सुनीता जी । शव्दों व छंदों में कुछ और कसावट हो तो लाजवाब भाव हैं, भावों को बिखरने न दें तारतम्यता में शव्दों के साथ भावों की धारा को बहने दें । <BR/>कानों में सुनने पर शव्दों में आरोह अवरोह लाने से यह कविता पढनें से भी अच्छी लगेगी ।<BR/><BR/>संजीव36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-53254970340604033412008-01-10T11:22:00.000+05:302008-01-10T11:22:00.000+05:30दिल को छू गयी आपकी कविता।माँ जैसी भी हो मेरे लाडलो...दिल को छू गयी आपकी कविता।<BR/>माँ जैसी भी हो मेरे लाडलो,<BR/>जन्म जिसने दिया न नफ़रत करो,<BR/>सौ जन्मों में भी क्या चुका पाओगे,<BR/>कर्ज दूध का अदा क्या कर पाओगे,<BR/><BR/>बहुत-बहुत सुन्दर !mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-35460678386142879502008-01-10T07:17:00.000+05:302008-01-10T07:17:00.000+05:30बहुत सुंदर रचना है। मां जैसी ही।बहुत सुंदर रचना है। मां जैसी ही।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-9861584947307558832008-01-10T02:48:00.000+05:302008-01-10T02:48:00.000+05:30ममत्व का अच्छा चित्र खींचा है आपने।ममत्व का अच्छा चित्र खींचा है आपने।जेपी नारायणhttps://www.blogger.com/profile/05345363717323351232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-89542048935000393902008-01-09T22:57:00.000+05:302008-01-09T22:57:00.000+05:30किसी भी व्यक्ति/चीज की अहमियत उसके न होने पर ही सम...किसी भी व्यक्ति/चीज की अहमियत उसके न होने पर ही समझ में आती है और फिर मां की तुलना तो असंभव है क्योंकि<BR/>मां जैसी सिर्फ मां ही हो सकती है।<BR/><BR/>बढ़िया कविता!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-62504723058403407582008-01-09T22:54:00.000+05:302008-01-09T22:54:00.000+05:30क्या कहूँ ? कुछ अजीब सा लगा आप की रचना पढ़ कर. ज़िं...क्या कहूँ ? कुछ अजीब सा लगा आप की रचना पढ़ कर. ज़िंदगी के न जाने कितने flashback दिखला गई ये कविता.अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-30664196585563142312008-01-09T22:41:00.000+05:302008-01-09T22:41:00.000+05:30maa hoti hi pyar ki murat hai,ansoon aagaye padhte...maa hoti hi pyar ki murat hai,ansoon aagaye padhte padhte,sundar behad sundar.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-54622166961986465762008-01-09T22:33:00.000+05:302008-01-09T22:33:00.000+05:30मानवीय संवेदनाओं को समेटे हुए,बहुत बढिया रचना है।ब...मानवीय संवेदनाओं को समेटे हुए,बहुत बढिया रचना है।बधाई।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-65772829047098060852008-01-09T22:16:00.000+05:302008-01-09T22:16:00.000+05:30mun bhar aaya..SUNITA JI....MAA hoti hi aisii hai,...mun bhar aaya..SUNITA JI....MAA hoti hi aisii hai,naa janey kis mitti ki banaataa hai isey bhagvaan ...पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-18892190483822983522008-01-09T21:10:00.000+05:302008-01-09T21:10:00.000+05:30बहुत सुंदर कविता , भावनाओं के धरातल पर उपजी हुई मा...बहुत सुंदर कविता , भावनाओं के धरातल पर उपजी हुई मानवीय संवेदनाओं का सारगर्भित उदगार , बधाईयाँ !रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.com