tag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post2480906220343452797..comments2024-03-27T14:14:46.377+05:30Comments on मन पखेरू उड़ चला फिर: तो फ़िर प्यार कहाँ है?सुनीता शानूhttp://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-3721888815188423712007-10-10T13:53:00.000+05:302007-10-10T13:53:00.000+05:30सुनीता जी,भावना प्रधान है आपकी कविता परन्तु जब हम...सुनीता जी,<BR/><BR/>भावना प्रधान है आपकी कविता परन्तु जब हम भावुक होते हैं तो सिर्फ़ एक पक्ष ही देख पाते हैं..दुख में तो सिर्फ़ ईश्वर या फ़िर टूटन ही नजर आती है... आदमी मानसिक, शारिरिक रूप से भी पंगू हो जाता है..सब रिश्ते जरूरत से ही बनें हैं लेकिन ये जरूरी नहीं की जरूरत ही प्रधान हो... <BR/>परन्तु यह रचना है और इसमें सभी पक्ष एक साथ नहीं रखे जा सकते इसलिये इसे एक सफ़ल भावनाप्रधान रचना कहने में मुझे कोई शंका नहींMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-54190304477465390442007-10-01T20:18:00.000+05:302007-10-01T20:18:00.000+05:30कविता पर टिप्पणी मेल पर लिख चुका हूं। ब्लाग पर चार...कविता पर टिप्पणी मेल पर लिख चुका हूं। ब्लाग पर चार पक्तियां लिखना चाहूंगा<BR/>प्यार की तुलना सागर से करते हैं इसीलिए तो-<BR/><BR/>चाहे कितना भी जल भाप बन कर उड़ जाए,<BR/>कितनी ही नदियां उसके गोद में समा जाए।<BR/>दुख लहरों सा उठे फिर भीतर जाके छुप जाए,<BR/>प्यार गहराई में बैठा हुआ मंद-मंद मुस्कुराए।pratapsomvanshihttps://www.blogger.com/profile/00486250070319998318noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-50938848289491303952007-09-30T18:37:00.000+05:302007-09-30T18:37:00.000+05:30एक नारी के अतंस की पीर का बहुत ही जीवंत चित्रण किय...एक नारी के अतंस की पीर का बहुत ही जीवंत चित्रण किया है। बहुत सुन्दर ।नीरज शर्माhttps://www.blogger.com/profile/02856956576255042363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-21502492690825852552007-09-30T12:01:00.000+05:302007-09-30T12:01:00.000+05:30मर्मस्पर्शी है।पर फिर भी माँ या औरत का रिश्ता सिर्...मर्मस्पर्शी है।पर फिर भी माँ या औरत का रिश्ता सिर्फ काम से ही नही माना जा सकता है।<BR/>बडे दिनों बाद लिखा।<BR/> और सुनीता जी आपके ब्लॉग का नया रुप काफी अच्छा लगा।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-23365517362810969502007-09-29T23:04:00.000+05:302007-09-29T23:04:00.000+05:30मार्मिक !!मार्मिक !!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-24644606188909932372007-09-29T22:14:00.000+05:302007-09-29T22:14:00.000+05:30बहुत अच्छा, लेकिन एक बार और संशोधन की जरूरत है: पर...बहुत अच्छा, लेकिन एक बार और संशोधन की जरूरत है: परिवारजनों के प्यार को जरा और शक्ति के साथ उकेरें तो अच्छा होगा -- शास्त्री जे सी फिलिप<BR/><BR/><BR/>हिन्दीजगत की उन्नति के लिये यह जरूरी है कि हम <BR/>हिन्दीभाषी लेखक एक दूसरे के प्रतियोगी बनने के <BR/>बदले एक दूसरे को प्रोत्साहित करने वाले पूरक बनेंShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-80357298233144545182007-09-29T21:46:00.000+05:302007-09-29T21:46:00.000+05:30हरे प्रकाश जी आप पहली बार आये है बहुत-बहुत धन्यवाद...हरे प्रकाश जी आप पहली बार आये है बहुत-बहुत धन्यवाद...हरिराम जी.समीर जी,दिव्याभ जी आप सभी का भी शुक्रिया...शास्त्री जी आपके कहे अनुसार मैने कविता में पूर्णता लाने की कोशिश की है...कृपया ध्यान दें<BR/><BR/>सुनीता(शानू)सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-53222088981649586152007-09-29T21:16:00.000+05:302007-09-29T21:16:00.000+05:30काफी अच्छा लगा, लेकिन इस विश्लेषण में आपने एक बहुत...काफी अच्छा लगा, लेकिन इस विश्लेषण में आपने एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात को नजांदाज कर दिया है जिस कारण आप को लगता है कि वह प्यार नहीं बल्कि जरूरत थी.<BR/><BR/>सच है कि उनको आपकी जरूरत थी. लेकिन आपका निष्कर्ष उससे एक कदम आगे जाता है एवं कहता है "सिर्फ जरूरत थी". यह गलत है. जरूरत थी को सिर्फ जरुरत थी न देखें. इस अंतर को एक उदाहरण द्वारा व्यक्त किया जा सकता है.<BR/><BR/>आप परिवारजनों के लिये जो कुछ करती हैं वह एक विश्वस्त नौकर या नौकरानी भी कर सकते है. यदि वे बीमार पड जायें तो सभी लोग उस की सेवा को मिस करेंगे. लेकिन सवाल यह है कि क्या वे लोग उस नौकर/नौकरानी की सेवा को, एवं उस व्यक्ति को, ठीक उसी तरह से मिस करेंगे जिस तरह से वे आपको मिस करते हैं? कदापि नहीं. आपको मिस करने में ऐसे कई आयाम जुडे हैं जो नौकरों से नहीं जुडे है.<BR/><BR/>मदद करने वाले नौकर के साथ रिश्ता एक-आयामी होता है, लेकिन सारे परिवार की मदद करने वाले एक व्यक्ति के साथ परिवारजनों का रिश्ता बहुआयामी होता है. बहुआयामी (कई तरह से) वे आपको मिस करते है. अत: आपका यह निषकर्ष गलत है कि वे "सिर्फ" आपकी सेवा को मिस करते है.<BR/><BR/>वे आपकी सेवा को भी मिस करते है, आपकी उपस्थिति को भी मिस करते हैं, आपको भी मिस करते है. इस नजरिये से देख कर कविता के आखिरी भाग में कम से कम छ: पंक्तियां और जोड कर कविता को इससे अधिक अर्थपूर्ण बनायें -- शास्त्री जे सी फिलिप<BR/><BR/>मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,<BR/>2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-48375361877724046692007-09-29T20:41:00.000+05:302007-09-29T20:41:00.000+05:30सभी कुछ एक व्यक्ति के मस्तिष्क में होता है हो सकता...सभी कुछ एक व्यक्ति के मस्तिष्क में होता है हो सकता है जिसे हम जरुरत समझें वह प्यार भी हो और यह कि कई बार सत्य प्रेम भी मात्र काम ही नजर आता है…<BR/>वैसे कविता बहुत ही सुंदर है तर्क अपने हो सकते हैं।Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-83628140083614034842007-09-29T19:41:00.000+05:302007-09-29T19:41:00.000+05:30अरे, इतनी गहरी सोच में कौन खो गया?? किसकी व्यथा कथ...अरे, इतनी गहरी सोच में कौन खो गया?? किसकी व्यथा कथा है? शब्दों में भावों को अच्छा उकेरा है. इमानदार बयानी है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-11435802779174191212007-09-29T18:57:00.000+05:302007-09-29T18:57:00.000+05:30मार्मिक एवं यथार्थ चित्रण। सच्चा प्यार तो केवल आत्...मार्मिक एवं यथार्थ चित्रण। सच्चा प्यार तो केवल आत्मा-परमात्मा का ही होता है।<BR/><BR/>अच्छी बात आप केवल हास्य रस ही नहीं सारे नवरसों का सरस अनुभव कराती हैं।हरिरामhttps://www.blogger.com/profile/12475263434352801173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-86145626237492259202007-09-29T18:46:00.000+05:302007-09-29T18:46:00.000+05:30bahut sundar blog. kavita bhi bahut marmik. pahli ...bahut sundar blog. kavita bhi bahut marmik. pahli bar padha aur achchha laga.badhai.niyamit likhen...aapki aur kavitaen padhoonga.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12313797805658263500noreply@blogger.com